बुधवार, 7 अगस्त 2013

महंगाई

महंगाई


मुँह बाये हर कहीं,
महंगाई खड़ी है,
गरीब के सामने,
 ए मुसीबत बड़ी है ।

पढे़ लिखे और सरकार का,
यही है आज रोना,
शेयर गिरा धड़ाम,
महंगा हुआ है सोना ।

गरीब जोड़ता है,
नित आना और पाई,
किसान है आवाक्,
उसकी गई कहाँ कमाई ।

डाक्टर की फीस दूनी,
महंगी दवा बाजार है,
समझे न कुछ दुलारी,
उसकी बिटिया बीमार है ।

बेटा गया परदेस,
कुछ खोज ना खबर है,
किराया हुआ महंगा
लम्बा सफर है ।

गाँव क्या हर में भी,
फैली है बेकारी,
पाँच रुपया से कम
ना माँगता भिखारी ।

बिना तेल सब्जी ले,
रोए कराही,
खाली देख बोतल,
ओंठ चाटे राबी ।

दफ्तर गया बुजुर्ग
  देने पेंन की अर्जी,
हजार माँगे बाबू,
कहे कागज है फर्जी ।

समझ न आए ‘श्री’,
खून पसीने की कमाई,
हर कोई रोये,
महंगाई-महंगाई ।।

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डा0 उमे कुमार पटेल ‘श्री
श्रीरामा सेवा संस्थान
ग्राम-घोठही, पोस्ट-करमहा,
जिला-महराजगंज (उ0प्र0)
पिन - 273303
चल दूरभा नं0-    +919450882123
ईमेल- shrish.ukp@gmail.com

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