गुरुवार, 4 सितंबर 2014

कविता : नौकरानी



नौकरानी

साफ-सफाई में मीन-मेख
नाश्ते में देरी देख
नौकरानी पर
वह चिल्लाया ही था कि,
जबाब में वह गुर्रायी-
मुँह सम्हाल के बात करो
क्यों चिल्लाते हो
बिना वजह शोर मचाते हो
मैं तेरी बीबी नहीं
जो लात-घूँसे
खाके भी पड़ी रहूँगी
वह भी महज दो रोटी के लिए !!
 
* उमेश कुमार पटेल श्रीश
गोरखपुर (उ.प्र.) 9450882123

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