शनिवार, 6 सितंबर 2014

मर्यादा की दुहाई



कविता
मर्यादा की दुहाई


मन के अरमानों
उम्मीदों
आकांक्षाओं
अभिलाषाओं
सपनों..........
.....................
आजाद होकर
उन्मुक्त आकाश में
उड़ने की चाह और
कहने-सुनने का हक़
माँगते ही,
स्त्री को
पागल और सनकी कह
पुरुष सात पर्दों
रुपी काल कोठरी में
कैद कर लेता है
मर्यादा की दुहाई देकर ।।
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डा0 उमेश कुमार पटेल श्रीश
मो0- +919450882123
इमेल - shrish.ukp@gmail.com

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